TONK // टोंक में धर्मसभा का आयोजन, गुरु उपकार और आचार्य शांतिसागर शताब्दी महोत्सव की चर्चा

टोंक के श्री आदिनाथ जैन मंदिर, अमीरगंज नसिया में आज विशेष धर्मसभा का आयोजन हुआ। इस मौके पर वात्सल्य वारिधि पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने कहा कि गुरु के बिना जीवन अधूरा है और उनके उपकारों को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने प्रथमाचार्य शांतिसागर जी महाराज के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वे दिगंबर जैन समाज के प्रथमाचार्य थे, जिन्होंने माता-पिता की सेवा के बाद ही संन्यास लिया। इस वर्ष को शांतिसागर आचार्य शताब्दी महोत्सव के रूप में मनाया जाएगा।

धर्मसभा में आर्यिका श्री महायशमति माता जी ने बच्चों के संस्कारों पर बल देते हुए सात मूल तत्वों पर प्रकाश डाला—सत्संगति, प्रभुभक्ति, सेवा, दया, ध्यान, दान और उपकार। सभा में श्रीजी और पूर्वाचार्य के चित्र का अनावरण हुआ और विभिन्न जैन पाठशालाओं के बच्चों व शिक्षकों ने भाग लिया। भक्तिमय भजनों पर श्रद्धालुओं ने अष्टद्रव्य समर्पित किया। इस मौके पर आचार्य श्री ने श्रावकों को रात्रि में जल के अलावा अन्य पदार्थों के त्याग का नियम भी दिलवाया।

जैन पत्रकार महासंघ की कार्यकारिणी ने आचार्य श्री से भेंट कर 27 जुलाई को प्रस्तावित शांति समागम राष्ट्रीय पत्रकार संगोष्ठी पर चर्चा की। सभा में जयपुर, ललितपुर, गंगापुर सिटी, डिग्गी सहित कई नगरों से श्रद्धालु पहुंचे।
समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधि, संयोजक मंडल और मीडिया प्रकोष्ठ के सदस्य भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
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टोंक से अशोक शर्मा की रिपोर्ट
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