BANSWARA // मानगढ़ से फिर गूंजी भील प्रदेश की मांग, रोत बोले– धर्म के नाम पर राष्ट्र बना सकते हो तो जाति के नाम पर राज्य क्यों नहीं?

बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम से गुरुवार को एक बार फिर भील प्रदेश की मांग उठी। यहां आदिवासी परिवार की ओर से भील प्रदेश संदेश यात्रा और सांस्कृतिक महासम्मेलन में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्यप्रदेश के आदिवासी जुटे। इस महासम्मेलन में आदिवासी परिवार से जुड़े सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि जाति के नाम से राज्य नहीं बन सकता है। हम ये मान गए, फिर आप धर्म के नाम से हिंदू राष्ट्र बनाने की बात क्यों करते हो? इस देश में सभी धर्म के लोग रहते हैं। भील प्रदेश की मांग सांस्कृतिक आधार पर है। भाषीय आधार पर राज्य बन सकता है। आदिवासी परिवार संस्था के संस्थापक सदस्य मास्टर भंवरलाल परमार ने कहा कि बारिश में मध्यप्रदेश में आदिवासियों के मकान बुलडोजर से गिरा दिए। ऐसा तो अंग्रेजों ने भी नहीं किया। आदिवासियों को उनके इलाके में रोजगार दिया क्या? माही बांध का पानी मिला क्या? आदिवासियों की बात सुनी जानी चाहिए। अफसरों को महीने में एक बार आदिवासी संगठनों से बात करनी चाहिए।

आदिवासी परिवार के संस्थापक सदस्य कांतिभाई रोत ने कहा- भील प्रदेश की मांग कई साल से चल रही है। आंदोलन चलते रहेंगे। डूंगरपुर के कांकरी डूंगरी में जो कुछ हुआ था, वह भी भील प्रदेश के लिए हमारा आंदोलन ही था। भाजपा ने मानगढ़ सभा में कहा था कि हमारी सरकार बनवा दो, हम भील प्रदेश बनवाकर देंगे। मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि हम जो मांग रहे हैं, वो दें नहीं तो उड़ीसा जाएंगे। छत्तीसगढ़ भी मागेंगे। 5वीं अनुसूचित के प्रावधान लागू नहीं किए तो जगह-जगह आंदोलन होंगे।
सम्मेलन में चौरासी विधायक अनिल कटारा, आसपुर विधायक उमेश मीणा, धरियावद विधायक थावरचंद डामोर, मांगीलाल निनामा, जीतेश कटारा, केशु निनामा, शंकर निनामा, बसंतीलाल पाडोर, रमेश मईड़ा, बबीता कच्छप और घाटोल विधायक प्रत्याशी रहे।
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बांसवाड़ा से मुकेश पाटीदार की रिपोर्ट
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