TONK // भगवान के दर्शन से वास्तविक आत्मा के दर्शन होते हैं

TONK // आगामी 3 नवंबर को होगा पीछी परिवर्तन तथा 7 से 12 नवंबर से होगा पंच कल्याणक

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टोंक में आत्मा पर कर्मों का आश्रव होकर आत्मा कर्मों के बंधन में है इस कारण संसार में परिभ्रमण होता है संयम दीक्षा धारण करना ही सही मार्ग है इस को अपनाकर वैराग्य धारण कर मनुष्य जीवन सार्थक करने का पुरुषार्थ आचार्य श्री धर्म सागर जी महाराज ने किया। एक संस्मरण में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने बताया कि आचार्य श्री धर्म सागर जी महाराज मुनि अवस्था में श्री महावीर जी पधारे तब द्वितीय पट्टाधीश आचार्य श्री शिव सागर जी थे जब श्री शिव सागर जी महाराज का स्वास्थ्य खराब हुआ तब अन्य साधुओं ने पूछा कि 11 प्राणियों ने दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ाया उनका क्या होगा? तब श्री शिव सागर जी ने कहा कि मैं स्वस्थ हो जाऊंगा तो मैं दीक्षा दूंगा और अगर मैं स्वस्थ नहीं होता तो मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज इन 11 प्राणियों को दीक्षा देंगे। आचार्य श्री शिव सागर जी की भावना अनुरूप आचार्य श्री शिव सागर जी की अनायास समाधि हो जाने से श्री धर्मसागर जी महाराज तृतीय पट्टाधीश नियुक्त किए गए ,और उसी दिन 24 फरवरी 1969 फागुन शुक्ल अष्टमी को 11 व्यक्तियों को दिगंबर दीक्षा दी जिसमें 6 मुनिराज तीन आर्यिका माताजी तथा दो छुल्लक दीक्षाएं दी सबसे कम उम्र में हमारी भी मात्र 19 वर्ष में सीधे मुनि दीक्षा हुई। यह मंगल देशना टोंक नगर की धर्म सभा में आचार्य श्री धर्म सागर सभागार के लोकार्पण अवसर पर आयोजित सीकर से लाइव प्रसारण पर प्रगट की। राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री ने आगे बताया कि आचार्य पद के पूर्व भी अनेक नगरों में समाज ने श्री धर्म सागर जी को आचार्य पद देना चाहा किंतु उन्होंने स्पष्ट मना किया कि हम धर्म प्रभावना तीर्थ वंदना के लिए पृथक बिहार कर रहे हैं हमारे संघ परंपरा के आचार्य श्री शिव सागर जी ही है। श्री धर्म सागर जी महाराज ने अनेक दीक्षाएं दी अनेक नगरों में चातुर्मास के बाद सन 1987 वैशाख माह में सीकर पधारे सीकर ग्रीष्म ऋतु में आपने अघोषित संलेखना के अंतर्गत प्रतिदिन आहार को कम करते रहे और आपके समाधि हो गई आज उनकी पुनीत स्मृति में आचार्य श्री धर्म सागर सभागार का लोकार्पण हुआ। इसी पार्श्वनाथ भवन में 4 माह रुके प्रतिमाह 8 km बिहार कर रात्रि विश्राम कर अगले दिन आहार लेकर सीकर आते थे।

जिस दिन आपकी दीक्षाहुई उस दिन श्री धर्मनाथ भगवान का कल्याणक तथा समाधि के दिन भी भगवान का कल्याणक दिवस था। आचार्य श्री ने बताया कि भगवान के दर्शन से आत्म दर्शन होते हैं, आत्म दर्शन ही वास्तविक दर्शन है आचार्य श्री शांति सागर परम्परा के सभी आचार्य बाल ब्रह्मचारी है सन 1974 देहली में भगवान श्री महावीर स्वामी के 2500 निर्वाण महोत्सव में दिगम्बर समाज का प्रमुख आचार्य होकर प्रतिनिधित्व किया।कभी भी दिगम्बर समाज के हितों से समझौता नहीं किया। आपने सीकर समाज को आचार्य श्री धर्म सागर जी के समाधि स्थल के नवीनीकरण किए जाने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम संचालक कमल सराफ और समाज प्रवक्ता पवन कंटान अनुसार टोंक नगर में 7 नवंबर से 12 नवंबर तक होने वाली पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के पत्रिका का विमोचन पुरानी टोंक मंदिर के पदाधिकारी एवं आचार्य श्री ने किया। पंचकल्याणक समिति के पदाधिकारी ने संपूर्ण जैन समाज को कार्यक्रम में सादर आमंत्रित किया। आज आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के ससंघ के सानिध्य में श्रेष्ठी श्री मोहनलालजी जैन पुना छामुनिया, टोंक को आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज वर्षायोग समिति ने”वात्सल्यभक्त” की उपाधि से नवाज कर सम्मान कर अभिनंदन पत्र भेंट किया।आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज की आहार चर्या प्रेमचंद अशोक कुमार जैन झीराना वाले महावीर नगर में भी हुई आचार्य श्री वर्धमान सागर जी सहित 34 साधुओं का पीछी परिवर्तन 3 नवंबर को श्री आदिनाथ नसिया में होगा।

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टोंक से अशोक शर्मा की रिपोर्ट

RAJSAMAND// संपर्क पोर्टल, ग्रामीण एवं शहरी सेवा शिविरों की साप्ताहिक समीक्षा बैठक आयोजित

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