TONK // आचार्य वर्धमान सागर जी ने कहा – आत्मा की उन्नति के लिए संयम रूपी ऊर्जा शक्ति जरूरी

टोंक मुख्यालय पर जैन नसियां में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज का चातुर्मास जारी है। दशलक्षण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म की विशेष विवेचना हुई। आचार्य श्री ने मंगल देशना देते हुए कहा कि आत्मा की ऊँचाई और उन्नति के लिए संयम रूपी ऊर्जा शक्ति जरूरी है। तीर्थंकर पद भी संयम के बिना प्राप्त नहीं होता।

आचार्य श्री ने कहा कि जैसे पानी को बांधकर ऊर्जा उत्पन्न होती है, उसी प्रकार संयम जीवन में ऊर्जा देता है। वाहन चलाते समय ब्रेक जरूरी है, उसी प्रकार जीवन में संयम रूपी ब्रेक आवश्यक है। संयम से वैराग्य आता है और आत्मा को कर्म बंधन से मुक्ति मिलती है।

आज 108 परिवारों ने आचार्य संघ के सानिध्य में भगवान आदिनाथ का 108 कलशों से पंचामृत अभिषेक व शांतिधारा की। धूप खेपन से जिनालय महक उठा और वातावरण भक्ति भाव से सराबोर हो गया। समाज के प्रवक्ता पवन कंटान और विकास जागीरदार ने बताया कि अभिषेक की यह परंपरा प्राचीन है और इसके बिना पूजन अधूरा माना जाता है।

इंद्रध्वज मंडल विधान में कई इंद्रों ने अर्घ्य समर्पित किए। साथ ही, नगर के सभी जिनालयों में धूप अग्नि अर्पित कर अष्टकर्मों का दहन किया गया। अनेक महिलाओं ने सुगंध दशमी का व्रत भी रखा। शाम को आरती, मंडल विधान और सांस्कृतिक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रमों ने आयोजन को और खास बना दिया।
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टोंक से अशोक शर्मा की रिपोर्ट