TONK // णमोकार मंत्र में अरिहंत ,सिद्ध ,आचार्य ,उपाध्याय और साधु पांचो परमेष्ठी निहित है -आचार्य श्री वर्धमान सागर जी

पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज 36 साधुओं सहित धर्म नगरी टोंक के श्री आदिनाथ जिनालय नसिया में विराजित हैं आचार्य श्री की णमोकार मंत्र के महत्व पर प्रवचन श्रृंखला चल रही हैं आचार्य श्री ने बताया कि णमोकार मंत्र में अरिहंत , सिद्ध आचार्य ,उपाध्याय और सर्व साधु पांचों परमेष्ठि निहित है। णमोकार मंत्र सुख और दुख दोनों में स्मरण करना चाहिए। हमने प्रवचन में पूर्व में भी बताया था कि णमोकार मंत्र कल्पवृक्ष , कामधेनु और चिंतामणि रत्न के समान मनोरथ पूर्ण करता है। यह मंगल देशना आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने धर्म सभा में प्रकट की। राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री ने आगे बताया कि णमोकार मंत्र में अनेक शक्तियां विद्यमान है। कैंसर रोग सहित अन्य गंभीर रोगी भी णमोकार मंत्र की श्रद्धा भक्ति से ठीक हो गए हैं। कार्यों में अवरोध कारण कष्ट, दुख होता हैं।णमोकार मंत्र की साधना और शक्ति से विपदा और रोग ठीक होते हैं।
समाज के धर्म प्रचारक प्रवक्ता पवन कंटान एवं विकास जागीरदार अनुसार धर्म सभा में श्रीजी और पूर्वाचार्य का चित्र का अनावरण दीप प्रज्वलन अमीरगंज नसिया महिला मंडल द्वारा किया जाकर आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन कर जिनवाणी भेंट की इस मौके पर झाड़ोल से पधारे कलाकार भाई गोरधन के भक्तिमय भजनों पर बड़े भक्ति भाव से भक्ति नृत्य करते हुए श्रद्धालुओं अष्टद्रव्य समर्पित किया ।
टोंक से अशोक शर्मा की रिपोर्ट
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