TONK // आपका शरीर व्यसन और फैशन खान-पान के कारण रोगी बना – आचार्य

आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने धर्म नगर टोंक की धर्म सभा में बताया की सारा जगत कर्मों के कारण रोगी होकर दुःखी है। राग द्वेष कार्यों और परिणाम के कारण आत्मा पर कर्मों का आश्रव होता है, असाता कर्म के उदय से कर्म रूपी रोग आते हैं , इस कारण आपदा ओर कष्ट आते हैं जब शरीर मानसिक ओर शारीरिक रोगी होता है तब आप धार्मिक और श्रेष्ठ कार्य नहीं कर पाते हैं। आपका शरीर व्यसन और फैशन खान-पान के कारण रोगी बना है। राजेश पंचोलिया के अनुसार आचार्य श्री ने आगे बताया कि गुटका पान की पिक से जब भूमि गंदी हो जाती है तो आपका शरीर भी कितना गंदा रहता है।
आप अपनी आदतों के कारण रोगी है। आचार्य श्री के प्रवचन के पूर्व आर्यिका श्री देवर्धी मति माताजी ने प्रवचन में बताया कि जैन संस्कृति का विकास और उत्थान केवल ज्ञान रूपी प्रकाश से हुआ है प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी महाराज की मुनि चर्या चतुर्थ कालीन आदर्श रही है। आपने आचार्य वर्धमान सागर जी के बारे में बताया कि आपकी 19 वर्ष की उम्र में दीक्षा के चार माह बाद नेत्र ज्योति चली गई थी तब आपने शांति भक्ति का पाठ कर प्रभु की भक्ति से बिना डाक्टरी इलाज के नेत्र ज्योति प्राप्त की। आचार्य शांतिसागर शताब्दी महोत्सव के अंतर्गत पारस, गंभीरमल, सुरेश मलारना परिवार, पदमचंद, धनपाल, महिपाल आंडरा परिवार, चेतन कुमार, जीवेंद्र कुमार, नवीन कुमार आंडरा परिवार, मदन लाल, अमित कुमार दाखिया परिवार, संत कुमार जैन टोडारायसिंह ने कलश स्थापित किए।
टोंक से अशोक शर्मा की रिपोर्ट
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