TONK // वात्सल्य वारिधी पंचम पट्टाधीश 108 आचार्य वर्धमान सागर जी का टोंक में संघ सहित प्रगट, धर्मसभा में भक्ति और उपदेश

धर्म देशना अतिशय कारी धर्म नगरी टोंक में संघ सहित विराजित वात्सल्य वारिधी पंचम पट्टाधीश 108 आचार्य वर्धमान सागर जी ने प्रगट की। राजेश पंचोलिया के अनुसार आचार्य ने आगे उपदेश में बताया कि संसारी प्राणी राग द्वेष में डूबे हैं संसार रूपी भव समुद्र से जिनालय में विराजित भगवान सद राह दिखाते हैं। क्योंकि पंच कल्याणक में धार्मिक क्रियाओं सूरी मंत्रों से प्रतिमाओं में भगवान के गुणों का आरोपण कर उन्हे पूज्य बनाया जाता हैं।

ज्येष्ठा और श्रेष्ठता मानने से नहीं गुणों से होती हैं 20 वी सदी में नवरत्न के रूप में प्रथमाचार्य शांतिसागर हुए। महापुरुष हमेशा उपकार करते है। आचार्य शांति सागर ने मुनिचर्या का निर्दोष पालन कर आदर्श प्रस्तुत किया।आचार्य वर्धमान सागर ने सभी को छोटे छोटे नियम व्रत त्याग से जीवन को उत्कृष्ट ओर मंगलमय बनाने का आशीर्वाद दिया।

आचार्य के प्रवचन के पूर्व मुनि मुमुक्षु सागर ने उपदेश में परमात्मा के गुण बता कर बताया कि भक्ति की शक्ति से मुक्ति मिलती हैं। समाज के धर्म प्रचारक प्रवक्ता पवन कंटान एवं विकास जागीरदार अनुसार धर्म सभा में श्रीजी और पूर्वाचार्य का चित्र का अनावरण दीप प्रवज्जलन सुशीला देवी, ज्ञानचंद, नवीन बिल्टी वाला परिवार जयपुर, ऋषभ कुमार, मयूर कुमार पचोरी परिवार पारसोला, आदेश जैन पारसोला एवं वर्धमान महिला मंडल काफला बाजार टोंक द्वारा किया जाकर आचार्य के चरण प्रक्षालन कर जिनवाणी भेंट की।
इस मौके पर झाड़ोल से पधारे कलाकार भाई गोरधन एवं सुनील सर्राफ के भक्तिमय भजनों पर बड़े भक्ति भाव से भक्ति नृत्य करते हुए श्रद्धालुओं अष्टद्रव्य समर्पित किया।
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टोंक से अशोक शर्मा की रिपोर्ट
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