TONK // धर्म ही मरण को बनाता है सुमरण – आचार्य वर्धमान सागर जी

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TONK // आत्महत्या से मिलता है अल्पायु जीवन, संयम और णमोकार मंत्र से मिलता है शांति का मार्ग – धर्मसभा में आचार्य की देशना

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टोंक में संसारी प्राणी सुख और शरण की खोज करते हैं। रोगी डॉक्टर की शरण में जाते हैं। आपत्ति और कष्ट आने पर आप भगवान को याद करते हैं। देव शास्त्र गुरु के अलावा अन्य कोई मंगल शरण नहीं है। यह पंच परमेष्ठि हमें सुख, धर्म का मार्ग दिखाते हैं। जैन धर्म प्रचारक विमल जौंला के अनुसार आचार्य ने कहा संसार में विषय भोगों के कारण जन्म मरण का आवागमन होता है। क्योंकि सांसारिक प्राणी पांच इंद्रीय के विषय भोगों में लिप्त है।

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आपके कर्मों मिथ्यात्व के कारण आपको उस अनुसार गति प्राप्त होती है। केवल मनुष्य गति में ही संयम धारण कर दीक्षा धारण की जा सकती है ।देवता भी संयम लेने को तरसते हैं। धर्म ही मरण को समाधि द्वारा सुमरण बनाता है।आत्महत्या करना धार्मिक दृष्टि से ठीक नहीं है। जो आत्महत्या करते हैं उन्हें अगले जन्म में अल्प आयु प्राप्त होती है। जैसे कर्म रूपी बीज बोते हैं। उसी अनुसार पुण्य पाप का फल प्राप्त होगा।

यह मंगल देशना आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज ने धर्म सभा में प्रकट की राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य ने सूत्र बताए। सभी को गुरु संतो के वचनों पर श्रद्धा रखना चाहिए सभी को एक दिन में तीन कम से कम तीन बार णमोकार मंत्र का जाप सुबह, दोपहर शाम को करना चाहिए। जप से एकाग्रता और शांति महसूस होती है। जप श्रद्धापूर्वक करना चाहिए जाप कीऔपचारिकता या दिखावा नहीं करना चाहिए। दान नवधा भक्ति से विवेक ,श्रद्धा ,आनंद पूर्वक निर्मल भाव से देना चाहिए। इस मौके पर जैन समाज के महिला पुरुष मौजूद रहे।

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टोंक से अशोक शर्मा की रिपोर्ट

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