Tonk// टोक किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष- रामपाल जाट का 29 जनवरी के गांव बंद आंदोलन के जागरण के प्रथम चरण में 20 जिलों में प्रवास हुआ पूरा।

राजस्थान के 45,537 गांव बंद के आवाहन को सफल बनाने के लिए किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने आठ दिवसीय यात्रा में 20 जिलों का जागरण अभियान पूरा किया। जिसमें भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद, पाली, जालौर, सिरोही, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, ब्यावर, अजमेर, दोसा, कोटपूतली-बहरोड, खैरथल-तिजारा, अलवर एवं जयपुर जिले के किसान प्रतिनिधियों के साथ संपर्क हुआ ।
द्वितीय चरण 16 जनवरी 2025 से आरम्भ टोंक जिले से होंगा जो बून्दी, कोंटा,बारा, झालावाड़, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर भरतपुर, डींग, झूंझूंनू,सीकर, चुरु, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बिकानेर,नागौर का होंगा सभी ग्रामवासियों को इस अभियान से जुड़ने के लिए आग्रह किया, पत्रकार वार्ताओं के माध्यम से लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में ख्यात पत्रकारों से संवाद किया । इस संपूर्ण यात्रा में टोंक जिले से किसान महापंचायत के युवा प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर चौधरी एवं करौली जिले से प्रदेश मंत्री बत्तीलाल बैरवा ने सक्रिय भूमिका निभाई ।
इतिहास में पहली बार, अभूत पूर्व, गाँव का व्यक्ति गाँव में- गाँव का उत्पाद गाँव में, सत्य- शांति- अहिंसा के मार्ग को पुष्ट करने वाला एवं गाँव की शक्ति का पुनर्जागरण जैसी प्रतिक्रियाओं ने इस गांव बंद आंदोलन को अभिनव एवं अनूठे प्रयोग के रूप में निरुपित किया है । स्वैच्छिक होने के कारण किसी भी प्रकार की टकराहट की संभावना नहीं होने से द्वेष रहित इस अभियान को देशवासियों के स्वभाव के अनुकूल बताया । अभी तक किसानों को लड़ाई के लिए कमाई छोड़नी पड़ती थी, इस अभियान में कमाई छोड़ने की आवश्यकता नहीं है । गांव का व्यक्ति गांव में रहते हुए कमाई के साथ लड़ाई कर सकता है । इस अभियान को स्वत स्फूर्त बनाने की दिशा में इसकी जानकारी ग्राम स्तर पर अधिकाधिक व्यक्तियों तक पहुंचने के लिए जागरूक प्रतिनिधियों ने संकल्प लिया । इसी दिशा में मीडिया के साथ सोशल मीडिया के उपयोग को महत्वपूर्ण माना गया ।
इस आंदोलन की ब्रह्मास्त्र से तुलना करते हुए इसके सफल संचालन हेतु साधना की आवश्यकता अनुभव की । इस प्रकार के गांव बंद का प्रयोग पहली बार किया जा रहा है । इस अभियान का उद्घोष ‘खेत को पानी – फसल को दाम’ है । इसी उद्घोष के अनुसार सिंधु जल समझौते की पालना नहीं होने से पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकने, माही परियोजना के पानी के लिए वर्ष 1966 में हुए समझौते के अनुसार गुजरात के खेड़ा जिले में नर्मदा का पानी वर्ष 2006 में पहुंचने के उपरांत माही परियोजना का संपूर्ण पानी राजस्थान में उपयोग हेतु सार्थक पहल करने, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का एम. ओ. यू एव एम. ओ. ए को सार्वजनिक करने, एवं पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना का निर्माण करने, यमुना जैसी नदियों सहित सिंचाई परियोजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के सुझाव भी प्राप्त हुए हैं । इस अवसर पर राष्ट्रीय महासचिव अकबर खान, जिलाध्यक्ष गोपीलाल जाट, पीपलू अध्यक्ष दुलाराम प्रजापत, हनुमान बिजारणियां भी साथ रहें।
टोक से अशोक शर्मा की रिपोर्ट