RAJSAMAND // सालों से दर-दर भटक रहे वजेराम का शिविर में हाथों-हाथ हो गया काम

राजसमंद में नाथद्वारा तहसील के ग्राम पंचायत नमाना के छोटे से गांव कुमारिया खेड़ा में रहने वाले वजेराम पुत्र मियाराम एक साधारण ग्रामीण हैं। पढ़ाई-लिखाई से दूर, जीवन-यापन में व्यस्त वजेराम के सामने वर्षों से एक बड़ी समस्या खड़ी थी। राजस्व रिकॉर्ड में उनके पिता का नाम गलत दर्ज हो गया था। वास्तविक नाम वजेराम पुत्र मियाराम होने के बावजूद राजस्व अभिलेखों में यह वजेराम पुत्र भेरा दर्ज था। इस त्रुटि के कारण आधार कार्ड, जनआधार कार्ड, राशन कार्ड और अन्य आवश्यक दस्तावेजों में नाम अलग-अलग हो गए। परिणामस्वरूप सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में उन्हें बार-बार परेशानी झेलनी पड़ती।
नाथद्वारा तहसील मुख्यालय लगभग 25 किलोमीटर दूर होने और नियम-कानून की जानकारी न होने के कारण वजेराम अपने आप को असहाय और निराश महसूस करते रहे। किन्तु तभी वजेराम को राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे ग्रामीण सेवा शिविर की जानकारी मिली। इस शिविर ने उनके मन में उम्मीद की एक नई किरण जगा दी। शिविर के दिन वे बड़ी आस लेकर पंचायत मुख्यालय नमाना पहुंचे और अपनी समस्या सहप्रभारी हस्तीमल महात्मा, तहसीलदार नाथद्वारा, के सामने रखी। तहसीलदार ने तुरंत संवेदनशीलता दिखाते हुए राजस्व विभाग की टीम को मौके पर ही आवश्यक दस्तावेज और जांच रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। न केवल प्रार्थना पत्र स्वीकार किया गया बल्कि उसी दिन आदेश भी पारित कर वजेराम को उनके ही गांव में हाथों-हाथ प्रदान कर दिया गया। एक जटिल और वर्षों से अटकी समस्या चुटकियों में हल होते ही वजेराम भावुक हो उठे। उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा- “आज मेरी जान में जान आई है। इतने दिन तक सुना था कि सरकार ग्रामीणों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन आज अपनी आंखों से देख भी लिया। सच में, हाथ कंगन को आरसी क्या।” इस सफलता से वजेराम को को राहत और गर्व की अनुभूति हुई।
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राजसमंद से पूजा गुर्जर की रिपोर्ट
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