Rajasthan//मंत्री किरोड़ी का विरोधियों पर किया हमला ; ‘X’ (ट्विटर) पर किया पोस्ट; लिखा- सूरज मुझसे आंख मिलाते घबराता है, चांद-सितारों की औकात है क्या ?

Rajasthan – मंत्री किरोड़ी का विरोधियों पर किया हमला ; ‘X’ (ट्विटर) पर किया पोस्ट; लिखा- सूरज मुझसे आंख मिलाते घबराता है, चांद-सितारों की औकात है क्या ?

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कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने शायराना अंदाज में विरोधियों पर सियासी हमला बोला है। किरोड़ी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (ट्विटर) पर दो पोस्ट किए। इनमें बिना किसी का नाम लिए इशारों में जो कहा, वो सीधे उनकी ही पार्टी के नेताओं पर हमला माना जा रहा है।

सूरज मुझसे आंख मिलाते घबराता है, चांद-सितारों की औकात है क्या

 

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किरोड़ी ने लिखा- खेला हूं मैं सदा आग से, अंगारों के गांव में। मैं पलता-फलता आया जहरीली फुफकारों की छांव में। इतने कांटे चुभे कि तलवे मेरे छलनी हो गए। चलने का है जोश भला, फिर भी मेरे पांवों में। बहुत है बढ़िया कि मुझे मार दे, नहीं मौत में दम इतना। कब्र-मजारों की औकात है क्या? सूरज मुझसे आंख मिलाते घबराता है, चांद-सितारों की औकात है क्या?
किरोड़ी की इस तल्खी के पीछे बीजेपी की अंदरूनी सियासत को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। दौसा उपचुनाव में किरोड़ी के भाई जगमोहन मीणा की हार के बाद सियासत गर्मा गई है। भाई की हार के लिए किरोड़ी ने बीजेपी नेताओं के भितरघात को जिम्मेदार ठहराते हुए X पर लंबी पोस्ट की थी। राजनी​तिक जानकारों के मुताबिक किरोड़ी बीजेपी नेताओं के एक गुट से भारी नाराज हैं। किरोड़ी ने अपने भाई की हार के लिए इन्हीं नेताओं को जिम्मेदार ठहराया था।

 

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बीजेपी नेता और दौसा से पूर्व विधायक शंकरलाल शर्मा ने पिछले दिनों किरोड़ी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा था कि हार को पचाने का माद्दा हर किसी में नहीं होता। दौसा की जनता पर ही वे आरोप लगा रहे हैं। जबकि उन्हें तो धन्यवाद देना चाहिए था। किरोड़ी ने तो साधु बनकर वोटों की भीख मांगी, लोगों ने यह फैला दिया कि रावण भी साधु वेश में भीख मांगने आया था और सीता हरण करके ले गया था।

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बीजेपी ने उपचुनाव में शंकर शर्मा का टिकट काटकर किरोड़ी के भाई जगमोहन मीणा को दिया था। शंकर शर्मा चुनाव प्रचार में नहीं गए थे। शंकर शर्मा ने कहा था कि उन्हें बुलाया ही नहीं, बिन बुलाए तो भगवान के भी नहीं जाऊंगा।
दौसा सीट पर बीजेपी की लोकसभा चुनाव में हार के बाद किरोड़ी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था कि इसकी पहले घोषणा की थी। जिस क्षेत्र में जीवन भर काम किया, वहां हार गए तो इस्तीफा दे दिया। बाद में मान-मनौवल का दौर चला। कैबिनेट बैठक में शामिल हुए, लेकिन कहा कि वे तो विधायक के नाते बैठक में आए थे।

 

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