Rajasthan//राजस्थान सरकार पहली वर्षगांठ से पहले 4 बड़े फैसले लेने की कर है तैयारी ; फ्री मोबाइल-राशन किट योजना हो सकती है बंद

भजनलाल सरकार अपनी पहली वर्षगांठ से पहले 4 बड़े फैसले करने की तैयारी में है। कांग्रेस सरकार के आखिरी छह महीनों में चलाई गई लोकलुभावन स्कीमों को बंद करना लगभग तय माना जा रहा है। इस मामले में मंत्रियों की कमेटी भी
जल्द रिपोर्ट देने वाली है। एसआई भर्ती, गहलोत राज के जिलों और वन स्टेट-वन इलेक्शन को लेकर भजनलाल सरकार जल्द फैसला करने की तैयारी में है, इसके लिए अलग-अलग स्तरों पर काम चल रहा है।
गहलोत राज के आखिरी छह महीनों के कामकाज की समीक्षा का काम पूरा हो चुका है। रिव्यू के लिए बनी कैबिनेट सब कमेटी रिपोर्ट फाइनल कर जल्द ही सीएम भजनलाल शर्मा सौंपेगी। उस रिपोर्ट को कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा।
सिफारिशों के आधार पर कांग्रेस राज के आखिरी छह महीनों में किए गए फैसलों को रद्द करने या जारी रखने पर फैसला करेगी।
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मंत्रियों की कमेटी गहलोत राज की महिलाओं को दिए जाने वाले फ्री स्मार्टफोन की योजना को बंद करने के पक्ष में है। कमेटी अपनी रिपोर्ट में इस स्कीम को बंद करने की सिफारिश कर सकती है। कमेटी का मानना है कि चुनावी वक्त में
लॉन्च की गई ऐसी स्कीम को जारी रखने का औचित्य नहीं है। इसके अलावा फ्री राशन किट स्कीम को भी कमेटी आगे जारी रखने के पक्ष में नहीं है। इन दोनों स्कीम्स को कांग्रेस राज में चुनावी साल के दौरान शुरू किया गया था।
कांग्रेस राज के दौरान बनाए गए जिलों के रिव्यू का काम भी लगभग पूरा हो चुका है। जिलों के लिए बनी कैबिनेट सब-कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। कांग्रेस राज के दौरान बनाए गए आधा दर्जन छोटे जिलों को बड़े जिलों में मर्ज
करने की सिफारिश होना लगभग माना जा रहा है। जिलों की रिव्यू कमेटी में शामिल मंत्रियों ने कई बार इस बात के संकेत दिए कि गहलोत राज के छोटे जिलों को मर्ज करना ही बेहतर रहेगा।
ऐसे में अब जब कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी, तो उसमें छोटे जिलों को खत्म या मर्ज करने की सिफारिश शामिल होगी। जो जिले मापदंडों पर खरे उतर रहे हैं, उन्हें बरकरार रखा जाएगा। पूर्व आईएएस ललित के पंवार कमेटी ने गहलोत राज के
जिलों को मापदंडों के हिसाब से एग्जामिन किया था, उस रिपोर्ट को भी मंत्रियों की कमेटी ने बड़ा आधार बनाया है।
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अब सरकार जल्द उस पर फैसला करने की तैयारी में है, क्योंकि इसके लिए 31 दिसंबर तक की समय सीमा है। इसके बाद 1 जनवरी से जनगणना रजिस्ट्रार जनरल के आदेश के कारण प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज हो जाएंगी, जिसके कारण
वार्ड तक की सीमा नहीं बदल सकेगी। सरकार इस समय सीमा से पहले नए जिलों पर फैसला करने की तैयारी में है।
राजस्थान में वन स्टेट-वन इलेक्शन को लेकर सरकार में अलग-अलग स्तर पर तैयारियां चल रही हैं। जल्द इस पर फैसला लिया जा सकता है। जनवरी में 6 हजार 975 ग्राम पंचायतों और करीब 100 के आसपास शहरी निकायों का
कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में अगर वन स्टेट-वन इलेक्शन के तहत एक साथ चुनाव कराने हैं तो जनवरी में जिन संस्थाओं के चुनाव बाकी हैं, उन्हें आगे खिसकना होगा। उस स्थिति में 6 हजार 975 ग्राम पंचायत और 100 से ज्यादा
शहरी निकायों में प्रशासक लगाने के लिए सरकार कानूनी जानकारों से विचार विमर्श कर रही है।
वन स्टेट-वन इलेक्शन को लेकर कई तरह की कानूनी दिक्कतें हैं, उन कानूनी दिक्कतों को दूर करने के लिए विचार विमर्श का दौर चल रहा है। सबसे बड़ी बाधा चुनाव टालने के लिए और उनका कार्यकाल आगे बढ़ाने के लिए कोई ठोस
आधार चाहिए। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की वजह से चुनाव को आगे खिसकने का आधार तैयार करने में और दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
73 वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद ग्राम पंचायत और शहरी निकायों के चुनाव हर 5 साल में करना अनिवार्य है, इन्हें आपात स्थिति को छोड़कर आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। सरकार इसकी कानूनी काट तलाश रही है। वन स्टेट –
वन इलेक्शन के लिए अगली कैबिनेट में कोई फैसला हो सकता है और इसके लिए मंत्री लेवल कमेटी बनाने के बारे में भी विचार किया जा सकता है।
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