KHAIRTHAL-TIJARA // खैरथल-तिजारा: हरियाली तीज पर महाअभियान, 2 लाख पौधे रोपे जाएंगे, मोहन राम मंदिर बना केंद्र

राजस्थान की पहचान लंबे समय तक एक रेगिस्तानी और जल-संकटग्रस्त राज्य के रूप में रही है, लेकिन अब इस छवि को बदलने का संकल्प राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने लिया है। उनका नेतृत्व पर्यावरणीय चेतना को केवल नीति तक सीमित नहीं रख रहा, बल्कि उसे जन-आंदोलन का रूप दे रहा है। हरियाली, जल संरक्षण, स्वच्छ ऊर्जा और सतत विकास अब राजस्थान की शासन प्राथमिकताओं में शीर्ष पर हैं।
भजनलाल सरकार ने 2025-26 के लिए प्रदेश का पहला ग्रीन बजट पेश कर एक ऐतिहासिक शुरुआत की है। इस बजट में राज्य के कुल स्कीम खर्च का 11.34 प्रतिशत, यानी 27,854 करोड़ रुपये ग्रीन ग्रोथ से जुड़ी परियोजनाओं के लिए निर्धारित किए गए हैं। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक राज्य संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल्स को हासिल करे। इसके लिए जलवायु अनुकूलन की पांच वर्षीय योजना तैयार की जा रही है और एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर क्लाइमेट चेंज की स्थापना की जाएगी, जिससे पर्यावरणीय शोध और नीति निर्माण को मजबूती मिलेगी।

हरियालो राजस्थान अभियान: एक जनआंदोलन बना पर्यावरण मिशन
‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से प्रेरणा लेते हुए राज्य सरकार ने ‘हरियालो राजस्थान’ महाअभियान शुरू किया है। पिछले मानसून में 7 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं और इस वर्ष 10 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
खैरथल-तिजारा जिले में हरियाली तीज पर जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन बाबा मोहन राम मंदिर के समीप स्थित 50-50 हेक्टेयर के खंड पर 50 हजार पौधे रोपित कर किया जाएगा साथ ही इस दिन पूरे जिले में 2 लाख पौधे लगाए जाएंगे।
नवीन ऊर्जा में आत्मनिर्भरता: किसान बना ऊर्जा उत्पादक
राज्य में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में रिकॉर्ड प्रगति हुई है। भजनलाल सरकार के कार्यकाल में 1190 मेगावाट की क्षमता वाले 592 सौर संयंत्र लगाए गए हैं। ये संयंत्र कुसुम योजना के तहत किसानों द्वारा स्वयं अथवा डेवलपर के साथ साझेदारी में स्थापित किए गए हैं, जिससे किसान अब अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी बन गए हैं। इन संयंत्रों से उत्पादित बिजली महज ढाई से तीन रुपये प्रति यूनिट में डिस्कॉम्स को मिल रही है, जो थर्मल बिजली की तुलना में बेहद सस्ती और प्रदूषणरहित है।
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जल संरक्षण में अभिनव प्रयास: कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान
राजस्थान के परंपरागत जल-स्रोतों की संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान की शुरुआत की गई है। यह पहल उन प्रवासी राजस्थानियों को उनके गाँवों से जोड़ रही है, जो देश-विदेश में बस चुके हैं लेकिन अपनी मातृभूमि के प्रति जुड़ाव बनाए रखना चाहते हैं। इस अभियान के तहत प्रवासीजन रिचार्ज शाफ्ट और जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण में आर्थिक और तकनीकी सहयोग दे रहे हैं।
खैरथल-तिजारा जिले में सीएसआर एवं दानदाताओं के सहयोग से “कर्मभूमि से मातृभूमि योजना” के अंतर्गत 99 रिचार्ज शाफ्ट/कार्यों का निर्माण हुआ।
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हरित राजस्थान—भविष्य की दिशा, वर्तमान की आवश्यकता
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का नेतृत्व राजस्थान को पारंपरिक रेगिस्तान से हरित समृद्धि की ओर ले जा रहा है। यह केवल वृक्षारोपण या जल संरक्षण की पहल नहीं है, बल्कि यह समग्र दृष्टिकोण है जो पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों को जोड़ता है। आज राजस्थान सतत विकास की दिशा में देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हो रहा है। हर नागरिक की भागीदारी और सरकार की प्रतिबद्धता के साथ, ‘हरित राजस्थान’ अब केवल एक सपना नहीं, बल्कि साकार होता यथार्थ है।
खैरथल तिजारा से मनीष शर्मा की रिपोर्ट
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