BOLLYWOOD // ‘माँ’ फिल्म में काजोल का दमदार रूप, मातृत्व के गुस्से और पौराणिक भय को बखूबी पिरोया गया

BOLLYWOOD – फिल्म “माँ” में निर्देशक विशाल फुरिया ने पौराणिक हॉरर को एक नई परिभाषा दी है। यह कहानी सिर्फ डरावनी नहीं है, बल्कि भावनात्मक रूप से गहराई लिए हुए है। फिल्म एक ऐसी माँ की कहानी है जो पति की रहस्यमयी मौत और बेटी के ऊपर मंडराते एक प्राचीन अभिशाप से जूझ रही है।

BOLLYWOOD – काजोल ने ‘अंबिका’ के किरदार में जान डाल दी है। एक शोकग्रस्त पत्नी से एक दिव्य योद्धा में उनका बदलना फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। उनका अभिनय मातृशक्ति की शक्ति को छूने वाला और गहराई से प्रभावशाली है। फिल्म में प्राचीन पौराणिक कथा ‘रक्तबीज’ को समकालीन नजरिए से दिखाया गया है।

BOLLYWOOD – रक्तबीज, एक दानव जो अपने ही खून से जीवित होता है, उस पर आधारित यह कहानी मातृत्व के गुस्से, आस्था और भय की टक्कर को दिखाती है। रोनित रॉय जॉयदेव के रहस्यमयी किरदार में असरदार हैं। केरीन शर्मा, इंद्रनील सेनगुप्ता, जितिन गुलाटी और बाकी कलाकारों ने फिल्म को वास्तविकता का स्पर्श दिया है।
विशाल फुरिया ने सस्ते डर से दूर रहकर एक गूढ़ और प्रतीकात्मक हॉरर रचा है। फिल्म में गांव की पृष्ठभूमि, उजाड़ मंदिर और धुंध से भरे दृश्य कहानी को और भी डरावना बनाते हैं। VFX और सिनेमैटोग्राफी उम्दा हैं और खास तौर पर काली शक्ति गीत फिल्म का सिनेमाई शिखर बनकर उभरता है। यह फिल्म केवल डराने के लिए नहीं है, बल्कि महसूस करवाने के लिए बनी है – मातृत्व, दुख, प्रतिशोध और आस्था का शक्तिशाली संगम। “माँ” एक इमोशनल हॉरर जर्नी है, जिसमें डर दिल से शुरू होता है और रूह तक पहुँचता है।
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न्यूज़ डेस्क तुषार शर्मा की रिपोर्ट
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