Bikaner//राजस्थान का राज्य वृक्ष, मरुधरा की शान और पर्यावरण का रक्षक – खेजड़ी – एक बार फिर वन माफिया के निशाने पर है।

Bikaner//छतरगढ़ क्षेत्र के केला, राजासर, कालासर और लाखूसर गांवों में 62 से ज्यादा हरे-भरे खेजड़ी के पेड़ों पर कुल्हाड़ी का कहर टूटा है।
Bikaner//छुट्टी के दिन, जब प्रशासनिक अमला आराम पर था, उसी समय अर्थआन कंपनी ने ACME के नाम पर अधिग्रहित ज़मीन में यह पूरा खेल खेला। आरोप है कि रात्रि के अंधेरे में पेड़ों को काटकर वाहन में भर लिया गया – और किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लगी।मोखराम धारणिया, अध्यक्ष – जीव रक्षा संस्था, बीकानेर नें बताया की हर बार जब प्रशासन छुट्टी पर होता है, वन माफिया सक्रिय हो जाते हैं। हमने समय रहते सूचना दी, लेकिन कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं आया।हमने कई बार शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई… अगर ऐसे ही चलता रहा तो हमारे गांवों में खेजड़ी सिर्फ तस्वीरों में रह जाएगी।ग्रामीणों ने अब उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो आने वाली पीढ़ियां सिर्फ किताबों में ही खेजड़ी को देख पाएंगी।प्रशासन से यही सवाल पूछता है – पर्यावरण की इस हत्या का जिम्मेदार कौन?’ क्या खेजड़ी की आहें कभी सुन पाएगा सिस्टम?
इस मामले पर हमारी पैनी नजर बनी रहेगी। बीकानेर शिव तवानियां कि रिपोर्ट
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