BIKANER // छत्तरगढ़ में सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जे की कोशिश, पुलिस की तत्परता से अतिक्रमण रोका गया, विभागीय चुप्पी पर उठे सवाल

बीकानेर के छत्तरगढ़ का स्टैंड सिंचाई विभाग इन दिनों अपने मौलिक कार्यों से अधिक “मौन समर्थन” की भूमिका में नज़र आ रहा है। बीते दो दिनों से छत्तरगढ़ में सिंचाई विभाग की ज़मीन पर अतिक्रमण की कोशिशें जोरों पर हैं। ताज़ा मामला निर्माणाधीन राजकीय महाविद्यालय के पास का है। जहां बीती रात कुछ लोगों ने सरकारी ज़मीन को अपनी “खरीदशुदा ज़मीन” बताते हुए उस पर निर्माण सामग्री डलवानी शुरू कर दी। सूत्रों के अनुसार, कब्जे की नीयत रखने वालों ने उक्त ज़मीन को खरीदशुदा होना बताया है सरकारी जमीन को कब्जेशुदा बताकर बेचना सरकारी अफसरों की मिलीभगत को दर्शाता है।
बीती रात हो रहे अतिक्रमण को इलाके के सतर्क वार्डवासी इस मंसूबे को भाँप गए और तत्काल पुलिस को सूचना दी। छत्तरगढ़ पुलिस ने समय रहते मौके पर पहुंचकर दो संदिग्धों को हिरासत में लिया, जिससे बड़ा अतिक्रमण टल गया। जिस भूमि पर कब्जे की कोशिश की गई, वह सिंचाई विभाग के कार्यालय से महज़ 500 मीटर की दूरी पर है। पुलिस थाना भी पास ही स्थित है। जर्जर हो चुके विभागीय क्वार्टरों की हालत बद से बदतर है। स्थानीय नागरिकों और जागरूक समाजसेवियों का कहना है कि ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए।
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जनता खुलकर कह रही है छत्तरगढ़ जैसे बड़े कस्बे में एक ईमानदार, निडर और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी की जरूरत है। क्या अब भी जिला प्रशासन और विभागीय उच्चाधिकारी जागेंगे? या फिर यह ‘सरकारी चुप्पी’ भू-माफिया के लिए ‘ग्रीन सिग्नल’ बनती रहेगी? जनता अब सिर्फ सवाल नहीं पूछ रही, आंदोलन की तैयारी में है! “जागो विभाग! अब बहुत हो चुका।
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बीकानेर से जोगेंद्र इंदलिया की रिपोर्ट
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