BARAN // अब जनता के पैसे की बर्बादी का जीता-जागता उदाहरण बन गया

BARAN – बारां के कवाई में ₹11 करोड़ की लागत से छोटे तालाब की पाल पर हुए ‘सौंदर्यकरण’ के नाम पर कस्बेवासियों के साथ बड़ा धोखा हुआ है। यह प्रोजेक्ट, जिसमें इंटरलॉकिंग और चारदीवारी का काम किया गया था, अब जनता के पैसे की बर्बादी का जीता-जागता उदाहरण बन गया है। आलम यह है कि इंटरलॉकिंग में जगह-जगह पानी भरा हुआ है, जिससे लोगों का निकलना दूभर हो गया है।कस्बे में हर सोमवार को इसी तालाब की पाल पर साप्ताहिक हाट (सब्जी मंडी) लगती है। पानी भरे होने के कारण लोगों को मजबूरी में पानी में होकर ही निकलना पड़ता है, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई है।
BARAN – यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि ₹11 करोड़ का सदुपयोग नहीं हुआ है।प्रशासनिक अधिकारी छोटे तालाब के निर्माण कार्य और उसकी गुणवत्ता पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। हद तो तब हो गई जब ठेकेदार अधूरा निर्माण कार्य छोड़कर चला गया, और उसके बाद भी अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है है₹11 करोड़ की लागत से बने इस तालाब का अभी तक लोकार्पण भी नहीं हुआ है,
लेकिन पंचायत द्वारा इसी जगह पर साप्ताहिक हाट लगाई जा रही है। इतना ही नहीं, पंचायत द्वारा सब्जी विक्रेताओं से बाकायदा हाट टैक्स भी वसूला जा रहा है, जबकि उन्हें बुनियादी सुविधाएँ भी नहीं मिल पा रही हैं।यह स्थिति स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही और जनता के प्रति जवाबदेही की कमी को उजागर करती है। कस्बेवासियों का कहना है कि यह सौंदर्यकरण नहीं, बल्कि उनके साथ किया गया एक बड़ा छलावा है।
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बारां से राजेश कुमार की रिपोर्ट
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