ALWAR // बाबा भर्तृहरी के धाम में अद्वितीय आयोजन, पंचतत्वों के बीच संतोष नाथ जी की तपस्या हुई पूर्ण

अलवर जिले की पावन भूमि। जहाँ हर कण में भक्ति की सुगंध है। हर हवा में लोक देवता बाबा भर्तृहरी की कृपा की मधुर गूंज है। वहाँ संतोष नाथ आश्रम पर हुआ एक अद्वितीय और भावनाओं से ओतप्रोत आयोजन।

सोमवार नाथ जी महाराज द्वारा की गई 41 दिन की पंचधुनि तपस्या। एक ऐसा प्रेमपूर्ण समर्पण। तपस्वी ने अपने प्राणों को अग्नि, वायु, भूमि, जल और आकाश के बीच रखकर लोकमंगल की कामना की। हर दिन, हर क्षण, महाराज का ध्यान अपने ईष्ट में रमा रहा। यह भक्ति थी, तपस्या नहीं। यह प्रेम था, कोई यज्ञ नहीं। तपस्या पूर्ण हुई। आकाश भी आनंद से झूम उठा, और भर्तृहरी धाम में हज़ारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। प्रेम का वह दृश्य अत्यंत अद्भुत था। पतल पर बैठकर खीर, जलेबी, पूरी और सब्ज़ी का प्रसाद पाते हुए हर भक्त की आंखों में संतोष और आनंद के अश्रु थे। देसी घी की सुगंध, मंत्रोच्चार की गूंज और बाबा के दर्शन का सौभाग्य। यह अनुभव स्वर्गिक था।
हरियाणा के अटेली मंडी, राजपुरा से आए कृष्ण कुमार ने भावविभोर होकर बताया। यह केवल भंडारा नहीं था। यह बाबा भर्तृहरी और संतोष नाथ जी के बीच प्रेम की वह अभिव्यक्ति थी। जिसमें समर्पण, सेवा और आशीर्वाद एक साथ झलकते हैं।
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अलवर से शक्ति सिंह प्रजापति की रिपोर्ट