Rajasthan//राजकुमार रोत ने एक्स पोस्ट के जरिए राजपरिवार के कार्यक्रम में हुई भील समुदाय की उपेक्षा का लगाया आरोप; यूजर ने लिखा- राजनीतिक रोटियां न सेकन बंद करे
धूणी दर्शन के लिए उदयुपर सिटी पैलेस के बाहर सोमवार देर रात पथराव हो गया था. इसी दौरान की वीडियो शेयर करते हुए राजकुमार रोत ने भील समुदाय की उपेक्षा का आरोप लगाया है.
राजस्थान की बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट से भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) ने मंगलवार सुबह अपनी एक्स पोस्ट के जरिए राजपरिवार के कार्यक्रम में भील समुदाय की उपेक्षा करने का आरोप लगाया. उन्होंने उदयपुर सिटी पैलेस (Udaipur City Palace) के बाहर हुए तनाव की वीडियो भी शेयर की और उसे इतिहास को शर्मसार करने वाला कृत्य बताया.

रोत ने एक्स पर लिखा, ‘उदयपुर राजपरिवार सत्ता व संपत्ति के लिए सड़क पर पत्थरबाजी-शीशेबाजी की लड़ाई कर गौरवशाली मेवाड़ के इतिहास को शर्मसार व हल्दीघाटी के शहीदों को अपमानित करने का कृत्य किया है. मेवाड़ को गौरवशाली बनाने में भील समुदाय का बहुत बड़ा योगदान रहा है, उसकी गवाही खुद मेवाड़ का राजचिह्न देता है. हल्दी घाटी के युद्ध में सबसे अधिक भीलों का खून बहा है, जबकि राजपरिवार के कार्यक्रम में भील समुदाय की उपेक्षा की गई. पूरे घटनाक्रम की हम कड़ी निंदा करते है.’
सोशल मीडिया पर रोत के इस पोस्ट को कुछ लोग गलत बता रहे हैं और उनसे राजनीतिक रोटियां न सेकन बंद करने की बात बोल रहे हैं. एक एक्स यूजर ने रोत की इस पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा है कि, ‘हल्दीघाटी में भील समाज का नेतृत्व करने वाले, भीलों का अपना अभिन्न अंग मानने वाले राणा पूंजा जी सोलंकी के वंशज राजतिलक में उपस्थित थे. किसी का कोई अपमान नहीं हुआ है. राजनीतिक रोटियां सेकना बंद करो.’ वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘राजतिलक का जमाना नहीं रहा अब. राजा इसलिए थे कि जनता की सेवा करे. लोकतंत्र में जनता की सेवा के और भी तरीके हैं. उन्हें अपनाए. ये राजतिलक गुजरे जमाने की बात हो गई. लोकतंत्र में इनका कोई स्थान नहीं.’

भारतीय जनता पार्टी के विधायक विश्वराज सिंह को सोमवार को चित्तौड़गढ़ किले में आयोजित एक कार्यक्रम में मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के मुखिया की गद्दी पर बैठाने की रस्म निभाई गई. विश्वराज के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ का इस महीने के शुरू में निधन हो गया था. विश्वराज को गद्दी पर बैठाने का ‘दस्तूर’ (रस्म) कार्यक्रम चित्तौड़गढ़ किले के फतहप्रकाश महल में आयोजित किया गया था और इसमें कई राज परिवारों के प्रमुख शामिल हुए थे. इस दौरान तलवार की धार से अंगूठे को काटकर उनका राजतिलक किया गया. इस परंपरा का निर्वहन सलूंबर ठिकानेदार ने किया. राजतिलक के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ लोगों से मिले और फिर वे प्रयागगिरी महाराज की धूणी पर दर्शन करने और कुलदेवता एकलिंगजी महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए रवाना हो गए.
मेवाड़ की शासक परंपरा के अनुसार, शासक खुद को एकलिंगनाथ जी का दीवान मानते हैं. ऐसे में विश्वराज सिंह इस परंपरा को निभाते हुए एकलिंगजी महादेव मंदिर में दर्शन करने के लिए गए थे. हालांकि महेंद्र सिंह और उनके अलग हुए छोटे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के बीच चल रहे विवाद के कारण यह कार्यक्रम फीका ही रहा. अरविंद सिंह ने दस्तूर कार्यक्रम के तहत विश्वराज के एकलिंग नाथ मंदिर और उदयपुर में सिटी पैलेस में जाने के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया. इस कारण जब विश्वराज और उनके समर्थक बड़ी संख्या में शाम को उदयपुर पहुंचे तो उन्हें अंदर प्रवेश नहीं दिया गया. विश्वराज कई घंटों तक सिटी पैलेस के प्रवेश द्वार से कुछ मीटर की दूरी पर जगदीश चौक पर इंतजार करते रहे. इस दौरान उनके समर्थकों ने बैरिकेड को फांद दिया. इसी दौरान पैलेस के अंदर से पथराव शुरू हो गया. समर्थक भी जवाब दिया, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए.
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