TONK// भव्य शोभा यात्रा: आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के सानिध्य में निकली नूतन पार्श्वनाथ प्रतिमा

TONK// आचार्य श्री वर्धमान सागर जी नूतन श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा का नगर आगमन पर समाज ने भक्ति भाव से मंगल आरती कर आगवानी की जुलूस का समापन श्री आदिनाथ जिनालय नसिया में हुआ। जहां पर आचार्य श्री वर्धमान सागर जी संघ सानिध्य में भव्य पूजन की गई। आचार्य श्री ने प्रवचन में बताया कि दुनिया में आप धन से भौतिक सुख प्राप्त करना चाहते हैं किंतु यह क्षणिक और नश्वर सुख होता है अनादि निधन मंत्र णमोकार मंत्र को माना गया है क्योंकि इसका कभी अंत नहीं होता है यह अखंड होता है। णमोकार मंत्र से जीवन में पुण्य की प्राप्ति होती है और इससे आप जीवन में अजर और अमरता, अविनाशी सुख रूपी धन पुरुषार्थ कर प्राप्त कर सकते हैं।

जैन धर्म में णमोकार मंत्र अनादि निधन मंत्र है णमो के साथ कार शब्द जुड़ा है कार का भौतिक जीवन में आप सभी उपयोग करते हैं जिस प्रकार कार रूपी वाहन से आप आवागमन करते हैं इस प्रकार णमोकार रूपी कार से आप जन्म जरा मृत्यु से छुटकारा प्राप्त कर शाश्वत सुख प्राप्त कर सकते हैं जिसके बाद फिर आवागमन संसार में नहीं होता है।यह मंगल देशना वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने णमोकार मंत्र की महिमा बताते हुए प्रकट की।राजेश पंचोलिया के अनुसार आचार्य श्री ने आगे बताया कि णमोकार मंत्र से सब कार्यों की सिद्धि होती है, क्योंकि णमोकार मंत्र में पंच परमेष्ठि अरिहंत, सिद्ध ,आचार्य, उपाध्याय और सर्व साधुओं को आस्था ,विश्वास, श्रद्धा से नमन किया जाता है ।विज्ञान अनुसार किसी भी कार्य को बार-बार करने ,पढ़ने, चिंतन करने से वह दिमाग में स्थाई स्मृति हो जाती है।
आचार्य श्री ने बताया कि प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी महाराज ने मिथ्यात्व का सभी को त्याग कराया तब एक सर्प का विश्व उतारने वाला व्यक्ति को भी णमोकार मंत्र के जाप करने को बोला उसने भी सर्प से दंश बैल का ज़हर णमोकार मंत्र से उतारा। नवरात्रि के धार्मिक पर्व में लगातार नौ दिनों तक णमोकार मंत्र का अखंड जब आप लोग कर रहे हैं यह अन्य नगरों के लिए भी अनुकरणीय है। प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी महाराज ने अपने साधु जीवन में 18 करोड़ से अधिक मंत्रों का जाप किया। इसके पूर्व मुनि श्री हितेंद्र सागर जी महाराज ने सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान ,सम्यक चारित्र रत्न्त्रय धर्म को मोक्ष मार्ग बताया है।
जन्म, जरा, मृत्यु के विनाश के लिए सम्यक दर्शन जरूरी है।धार्मिक पूजन धार्मिक क्रियाएं परिणाम और भावपूर्वक करना चाहिए तभी इसका शुभ फल प्राप्त होता है। पवन ,कमल सराफ और विकास अनुसार आगामी नवंबर माह में होने वाले पंचकल्याणक के लिए श्री जी की नूतन प्रतिमा का नगर में आगमन हुआ।प्रवक्ता पवन कंटान ने बताया की वात्सल्य वारिधि आचार्य 108 वर्धमान सागरजी महाराज के ससंघ सानिध्य एवं आशीर्वाद से 20वीं सदी के दिगंबर जैन प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती श्री 108 शांति सागर जी महाराज आचार्य पद प्रतिष्ठा शताब्दी समारोह 3अक्टूबर एवं 4अक्टूबर को RN गार्डन महावीर नगर में मनाया जाएगा जिसमें एक भव्य शोभा यात्रा शाही लवाजमे के साथ निकाली जाएगी ।
टोंक से अशोक शर्मा की रिपोर्ट
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