TONK // टोंक में विराजित आचार्य वर्धमान सागर जी ने प्रवचन में कहा– जीवन निर्माण का मूल है संस्कार, अनुशासन और धर्म

टोंक में वात्सल्य परिधि पंचम पट्टाधीश आचार्य वर्धमान सागर जी 36 साधु सहित धर्म नगरी अतिशय क्षेत्र आदिनाथ नसिया दिगंबर जैन मंदिर टोंक में विराजित है। आचार्य ने प्रातः कालीन धर्म सभा में बताया जीवन में मंगल किस प्रकार होता है। संस्कार, अनुशासन, अपनाने से जीवन का निर्माण होता है। धार्मिक सामाजिक कार्यक्रम में कलश यात्रा निकाली जाती है।

वर्तमान भौतिक परिस्थितियों में संस्कारहीनता अनुशासनहीनता दूषित खान-पान गलत पहनावे पर आचार्य ने चिंता व्यक्त कर बताया मंदिर संस्कार शाला होते हैं। माता-पिता के संस्कार अनुशासन से व्यक्ति के जीवन का निर्माण होता है। समाज प्रवक्ता पवन कंटान ओर विकास जागीरदार ने बताया आचार्य के प्रवचन के पूर्व आर्यिका विचक्षण मति माताजी ने अपने प्रवचन में स्थापना मंगल, भाव मंगल, क्षेत्र मंगल, द्रव्यमंगल की अनेक उदाहरण कथा से विस्तृत विवेचना में बताया किस प्रकार मंगल को अपनाने से आप अपने परिवार को सुखी कर सकते हैं। घर पर भगवान परमेष्ठि ,महापुरुषों के चित्र लगाने से मंगल होता हैं।
प्रतिदिन संघ के साधुओं द्वारा विभिन्न विषयों पर धार्मिक कक्षाओं में धार्मिक शिक्षा दी जा रही हैं। इस मौके पर टोनी आंडरा को प्रबंध समिति का सहमंत्री बनाया गया। प्रतिदिन राजस्थान के अतिरिक्त अन्य राज्यों नगरों से भक्त नगर आ रहे है । इस मौके पर कमल सर्राफ, नीटू छामुनिया, ओम ककोड़, ज्ञानचंद संघी, उमेश संघी, अम्मू छामुनिया, अंशुल आरटी, अंकित बगड़ी, मुकेश दतवास, सुमित दाखिया, अनिल कंटान, पंकज फूलेता, लोकेश कल्ली, विकास अत्तार, नरेंद्र दाखिया, राहुल पासरोटियां, पुनीत जागीरदार, सोनू पासरोटियां, आशु दाखिया, आदि समाज के लोग रहे।
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टोंक से अशोक शर्मा की रिपोर्ट
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