BIKANER //इंदिरा गांधी नहर में तार खींचते समय डूबा श्रमिक, बिना सुरक्षा साधन करवा रहे थे काम, महेंद्रा सोलर प्लांट व कंपनी की खुली पोल

बीकानेर के छत्तरगढ़ में 550 आरडी पर महेंद्रा सोलर पावर प्लांट की विद्युत आपूर्ति को जीएसएस से जोड़ने का कार्य एक दर्दनाक हादसे में तब्दील हो गया। पश्चिम बंगाल की एक कंपनी द्वारा लगाए जा रहे विद्युत टॉवरों पर काम कर रहे श्रमिकों में से एक कासिम नामक युवक जो इंदिरा गांधी नहर के ऊपर से विद्युत तार खींच रहा था नहर में डूब गया। न तार खींचने वाले कासिम को लाइफ जैकेट दी गई। न ही किसी तरह की सुरक्षा रस्सी या उपकरण की व्यवस्था की गई थी। सवाल यह उठता है। क्या एक बहती नहर के ऊपर से बिजली का तार खींचना कोई सामान्य कार्य है। जिसे यूं ही बिना किसी सुरक्षा मानक के कराया जाए ? प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तेज बहाव में कासिम संतुलन खो बैठा और नहर में जा गिरा। साथियों द्वारा शोर मचाए जाने पर तुरंत पुलिस को सूचना दी गई।
बीकानेर से SDRF की टीम मौके पर पहुंची और सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। घटना के बाद महेंद्रा सोलर प्लांट के प्रतिनिधि मौके पर तो पहुंचे। लेकिन स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखा गया। ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी केवल उत्पादन और मुनाफे पर ध्यान दे रही है। जबकि श्रमिकों की जान की कीमत पर काम करवाया जा रहा है। सवाल यह भी है।
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क्या इतनी बड़ी परियोजना में सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर काम करवाना एक नई कार्यशैली बनती जा रही है? आखिर इन कंपनियों पर कार्यस्थल सुरक्षा नियमों की पालना करवाने वाला कौन है? किसके निर्देश पर बिना सुरक्षा उपकरणों के कराया जा रहा था काम? क्या सोलर प्लांट प्रबंधन और विद्युत लाइन लगाने वाली कंपनी के खिलाफ होगी कोई कानूनी कार्यवाही? क्या कासिम की जान की कीमत सिर्फ एक तार थी? प्रशासन को अब इस घटना को एक “हादसा” मानकर छोड़ देने के बजाय जिम्मेदारी तय करनी होगी। ताकि अगला कासिम नहर में न डूबे — और न ही इंसानियत।
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बीकानेर से जोगेंद्र इंदलिया की रिपोर्ट
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